टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) किसी म्युचुअल फंड स्कीम को चलाने की कुल लागत होती है, जिसमें मैनेजमेंट फीस, ऑपरेशन खर्च और कुछ सरकारी फीस (statutory charges) शामिल होते हैं
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने म्युचुअल फंड रेगुलेशन्स 1996 के रिव्यू के लिए जारी किये गए कंसल्टिंग पेपर पर फीडबैक देने की डेडलाइन एक सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दी है। अब निवेशक, फंड हाउस और अन्य हितधारक 24 नवंबर तक म्युचुअल फंड नियमों में प्रस्तावित सुधारों पर अपनी राय दे सकते हैं। पहले यह डेडलाइन 17 नवंबर तक थी। बता दें कि सेबी ने 28 अक्टूबर को इस कंसल्टिंग पेपर को जारी किया था। इसमें सेबी ने एग्जिट लोड (Exit Load) में बदलाव, टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) में सुधार, ब्रोकरेज चार्ज कम करने और निवेशकों के लिए पारदर्शिता बढ़ाने समेत कई अन्य बदलावों का प्रस्ताव रखा है।
TER क्या है और यह क्यों जरूरी है?
टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) किसी म्युचुअल फंड स्कीम को चलाने की कुल लागत होती है, जिसमें मैनेजमेंट फीस, ऑपरेशन खर्च और कुछ सरकारी फीस (statutory charges) शामिल होते हैं। यह सीधे निवेशकों के रिटर्न को प्रभावित करता है, जितना ज्यादा TER होगा, फंड के मुनाफे में कटौती भी उतनी ही ज्यादा होगी।
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स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट की हेड ऑफ वेल्थ शिवानी न्याती ने कहा, “सेबी के कंसल्टेशन पेपर में टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) में कटौती का प्रस्ताव मुख्य रूप से म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए पॉजिटिव बदलाव साबित होगा, क्योंकि इससे निवेश की लागत कम होगी और फीस स्ट्रक्चर में पारदर्शिता बढ़ेगी।”
नए फ्रेमवर्क से क्या बदलेगा?
प्रस्तावित नए फ्रेमवर्क के तहत, सेबी उन अतिरिक्त 5 बेसिस प्वाइंट (bps) फीस को खत्म करने की योजना बना रहा है, जिसे अब तक एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को सभी म्युचुअल फंड स्कीम्स पर लगाने की अनुमति थी।
यह अतिरिक्त खर्च, साल 2012 में इसलिए जोड़ा गया था ताकि एग्जिट लोड को वापस स्कीम्स में क्रेडिट करने के असर की भरपाई की जा सके। 2018 में इसे 20 bps से घटाकर 5 bps कर दिया गया था। अब सेबी इसे पूरी तरह हटाना चाहता है ताकि निवेशकों की लागत कम हो सके।
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TER से बाहर होंगे सरकारी फीस
सेबी यह भी प्रस्ताव कर रहा है कि सभी सरकारी फीस— जैसे सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT), कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT), जीएसटी और स्टाम्प ड्यूटी — को TER की सीमा के बाहर रखा जाए।
अभी केवल मैनेजमेंट फीस पर लगने वाला GST, TER कैप से बाहर माना जाता है, जबकि बाकी सभी सरकारी फीस TER में शामिल होते हैं।
(PTI इनपुट के साथ)


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