CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?

CBDT द्वारा जारी नए नियमों के तहत इनकम टैक्स रिफंड में हुई साफ-साफ गलतियों को CPC बेंगलुरु के जरिए तेजी से सुधारे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है अगर आपने इस साल अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की है…

CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?
aarti gosavi

Last Updated: November 21, 2025 | 10:16 AM IST

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हाइलाइट्स

  • CBDT द्वारा जारी नए नियमों के तहत इनकम टैक्स रिफंड में हुई साफ-साफ गलतियों को CPC बेंगलुरु के जरिए तेजी से सुधारे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है अगर आपने इस साल अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की है…

CBDT द्वारा जारी नए नियमों के तहत इनकम टैक्स रिफंड में हुई साफ-साफ गलतियों को CPC बेंगलुरु के जरिए तेजी से सुधारे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है

अगर आपने इस साल अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल की है और रिफंड में कोई गड़बड़ी या कैलकुलेशन एरर सामने आई है, तो अब राहत की खबर है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने 27 अक्टूबर 2025 को एक अहम नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) बेंगलुरु को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं। यह अधिकार इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 154 के तहत दिए गए हैं, ताकि रिफंड या टैक्स गणना में हुई ‘रिकॉर्ड पर मौजूद साफ-साफ गलतियों’ को तेजी से सुधारा जा सके।

CPC को मिली बड़ी जिम्मेदारी

CBDT की नोटिफिकेशन नंबर 155/2025 (S.O. 4901(E)) के अनुसार, अब CPC-बेंगलुरु के कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स को कनकरेंट ज्यूरिस्डिक्शन प्राप्त होगा। यानी वे आकलन अधिकारी (AO) के साथ-साथ उन मामलों में सुधार कर सकेंगे, जिनमें ऑर्डर AO और CPC के इंटरफेस के जरिए पास हुए हैं।

कमिश्नर अपने इन अधिकारों को अतिरिक्त आयुक्त (Addl. CIT), संयुक्त आयुक्त (JCIT) या आकलन अधिकारी (AO) को सौंप सकते हैं। इससे निर्णय-प्रक्रिया तेज होगी और टैक्सपेयर्स को अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी। यह नियम देशभर के उन मामलों पर लागू होगा जो शेड्यूल में बताए गए क्षेत्र, व्यक्ति या इनकम के वर्गों से संबंधित हैं, यानी यह केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है।

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किन गलतियों को अब सुधारा जा सकेगा?

नया प्रावधान उन गलतियों के लिए है जो रिकॉर्ड से स्पष्ट हैं और जिनका असर टैक्स या रिफंड के कैलकुलेशन पर पड़ता है। इसमें शामिल हैं:

  • कैलकुलेशन या अकाउंटिंग एरर्स, जैसे कि TDS/TCS या एडवांस टैक्स जमा होने के बावजूद रिफंड कैलकुलेशन में शामिल न होना।
  • रिलीफ या टैक्स क्रेडिट जो सही तरह से समायोजित नहीं हुए हों।
  • सेक्शन 244A के तहत ब्याज का गलत कैलकुलेशन।
  • पहले जारी रिफंड या टैक्स डिमांड में हुई साफ-साफ मिस्टेक्स, जो सिस्टम से दिखाई देती हों।

नए नियम के तहत CPC को अब सेक्शन 156 के अंतर्गत टैक्स डिमांड नोटिस जारी करने की भी शक्ति दी गई है, यदि किसी सुधार के बाद टैक्स देनदारी निकलती है।

टैक्सपेयर्स को क्या फायदा होगा?

इन बदलावों से इनकम टैक्स प्रोसेसिंग और रिफंड से जुड़ी प्रक्रिया और अधिक ऑटोमेटेड, तेज और पारदर्शी बनेगी। पहले AO और CPC के बीच समन्वय में देरी से मामलों को सुलझने में महीनों लग जाते थे, लेकिन अब सुधार सेंट्रलाइज्ड सिस्टम के माध्यम से सीधे होंगे। इससे

  • गलतियों की पहचान और सुधार की स्पीड बढ़ेगी
  • टैक्सपेयर्स को बार-बार आवेदन या अपील नहीं करनी पड़ेगी
  • ब्याज और रिफंड कैलकुलेशन अधिक सटीक होंगे
  • विभाग का प्रशासनिक बोझ कम होगा

हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि यह सुविधा सभी टैक्सपेयर्स पर स्वतः लागू नहीं होगी, बल्कि केवल उन मामलों में जहां AO-CPC इंटरफेस के जरिए ऑर्डर पास हुए हैं या जिनमें गलती “रिकॉर्ड पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती” है। जटिल विवाद या आकलन इस दायरे में नहीं आएंगे।

कुल मिलाकर CBDT का यह कदम ‘Ease of Compliance’ की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है। यह सिस्टम न केवल टैक्सपेयर्स को राहत देगा, बल्कि विभाग की क्षमता भी बढ़ाएगा। छोटे टैक्सपेयर्स और सैलरीड क्लास, जो रिफंड पर निर्भर रहते हैं, उनके लिए यह नियम वाकई एक राहतभरी पहल है।