प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के दिशा-निर्देशों में बदलाव की संभावना जताई गई है जिससे युवाओं के लिए इसे अधिक आकर्षक और सुलभ बनाए जाने की तैयारी की जा रही है
कंपनी मामलों का मंत्रालय (एमसीए) इस वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) लागू करने की हरसंभव कवायद में लगा है। अधिकारियों को इस योजना के शुरू होने की उम्मीद है, वहीं सूत्रों का कहना है कि पूरी योजना अगले साल ही शुरू होने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस साल योजना शुरू होने की उम्मीद है। इसे फिर से डिजाइन करने की प्रक्रिया चल रही है।’
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस समय आवेदकों के पहले बैच के प्लेसमेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिन्होंने 1 दिसंबर से अपनी इंटर्नशिप शुरू की है और इससे मिलने वाले अनुभवों को शामिल किया जाएगा।
मंत्रालय इस योजना के दिशानिर्देशों को और बेहतर बनाने पर भी काम कर रहा है, जिससे यह युवाओं के लिए ज्यादा आकर्षक बन सके। इसमें इंटर्नशिप की मौजूदा अवधि 12 महीने से कम किया जाना शामिल हो सकता है। अगर यह योजना समय से शुरू नहीं होती है तो मंत्रालय को इस योजना के लिए अपने बजट आवंटन का बड़ा हिस्सा वापस करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि इस वित्त वर्ष में 6 महीने से भी कम समय बचा है और आवेदकों से खराब प्रतिक्रिया मिलने के कारण इस वर्ष योजना शुरू होने की संभावना कम है। सूत्रों ने कहा कि तीसरी पायलट परियोजना शुरू किए जाने के पहले दिशानिर्देशों में बदलाव पर विचार किया जा रहा है।
एक सूत्र ने कहा, ‘संशोधित दिशानिर्देश कुछ इस तरह के होंगे, जिससे यह योजना प्रतिभागियों के लिए आकर्षक बन सके। इसमें योग्यता मानदंडों को शिथिल किया जाना और इटर्नशिप की अवधि कम किया जाना शामिल हो सकता है।’
वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान में इस योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। संशोधित अनुमान में इसे घटाकर 380 करोड़ रुपये कर दिया गया। सरकार ने वित्त वर्ष2026 में इस योजना के लिए10,831 करोड़ रुपये आवंटित किया है।
वित्त मंत्रालय इस समय विभिन्न मंत्रालयों के साथ बजट के पहले की बातचीत कर रहा है। इस बातचीत में कंपनी मामलों का मंत्रालय इस फंड का कम इस्तेमाल होने की वजह की जानकारी देगा।
इंटर्नशिप के लिए आवंटित शहर और उच्च शिक्षा की जरूरत के साथ कई वजहें हैं, जिसके कारण आवेदक पेशकश स्वीकार नहीं कर रहे हैं, या इंटर्नशिप में हिस्सा नहीं ले रहे है। विभिन्न हिस्सेदारों से मिले फीडबैक के आधार पर यह जानकारी मिली है, जिसमें अभ्यर्थी, उद्योग और उनसे जुड़े संगठन व राज्य सरकारें शामिल हैं।
अक्टूबर 2024 में शुरू की गई इस योजना का मसकद भारत के युवाओं कोउद्योग की जरूरतों के मुताबिक कुशल बनाना है। इसका मकसद 5 साल में 500 शीर्ष कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को 1 साल का इंटर्नशिप कराना है।
पहले दौर में भागीदार कंपनियों ने 60,000 से अधिक अभ्यर्थियों को 82,000 से अधिक इंटर्नशिप की पेशकश की, लेकिन केवल 8,700 अभ्यर्थियों ने ही इंटर्नशिप में हिस्सा लिया।
लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब में सरकार ने बताया कि 9 जनवरी की दूसरी पायलट परियोजना में कंपनियों ने 82,110 पेशकश की और 12 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक 24,131 अभ्यर्थियों ने इसे स्वीकार किया।
वित्त पर बनी संसद की स्थाई समिति ने मॉनसून सत्र में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना का समय समय पर स्वतंत्र मूल्यांकन किए जाने की जरूरत है। यह पारदर्शिता और हाशिए पर और आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए योग्यता मानदंडों में छूट के लिए जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटर्नशिप की जगह पर रहने का खर्च न होने की स्थिति में दूर दराज के और वंचित उम्मीदवार इसमें शामिल होने में असमर्थ हो सकते हैं और इससे विभिन्न तरह की प्रतिभाओं को आकर्षित करने की क्षमता बाधित होगी।
इंटर्नशिप में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को कंपनी मामलों का मंत्रालय 6,000 रुपये प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण करता है और उन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और पीएम सुरक्षा योजना का लाभ दिया जाता है। प्रशिक्षुओं को हर महीने 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जिसमें से 4,500 रुपये सरकार देती है और कंपनी अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कोष से 500 रुपये देती है। कंपनियां स्वैच्छिक रूप से 500 रुपये से अधिक सहायता भी दे सकती हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोजगार देने के अपने एजेंडे के तहत 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी।


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